महामृत्युंजय मंत्र
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
• त्रयंबकम् = त्रि-नेत्रों वाला
• यजामहे = हम पूजते हैं, सम्मान करते हैं।
• सुगंधिम = सुगंधित
• पुष्टिः = समृद्ध जीवन की परिपूर्णता
• वर्धनम् = जो वृद्धि करता है ( स्वास्थ्य, धन, सुख और आनंद)
• उर्वारुकम = ककड़ी (कर्मकारक)
• इव = जैसे, इस तरह
• बन्धनात = तना
• मृत्योः = मृत्यु से
• मुक्षीय = हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें
• मा = न
• अमृतात = अमरता, मोक्ष
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